धनतेरस कब है 2023 शुभ मुहूर्त | dhanteras 2023 in hindi

धनतेरस का मुहूर्त कब है 2023? : वर्तमान पंचांग 9 नवंबर 2023: आज रमा एकादशी व्रत है. इस दिन लोग भगवान विष्णु का व्रत और पूजन करते हैं। आज कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, वैद्रुति योग, बालव करण, गुरुवार और दक्षिण दिशा का दिन है। रमा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को भगवान विष्णु का वरदान प्राप्त होता है, पाप नष्ट हो जाते हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

जीवन के अंत में व्यक्ति को हरि की कृपा से मोक्ष प्राप्त होता है। विष्णु भगवान के वैकुंठ धाम में स्थान मिलता है। आज गुरुवार के दिन एकादशी व्रत रखना अत्यंत शुभ फलदायी है। गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की भी पूजा की जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के प्रेम को समर्पित है। भगवान विष्णु को पीले फूल, अक्षत, हल्दी, पंचामृत, तुलसी के पत्ते आदि चढ़ाएं। उन्हें चने की दाल और गुड़ का भोग लगाएं। विष्णु सहस्रनाम और गुरुवार व्रत कथा का पाठ करें। इससे बृहस्पति की विकृति दूर होगी और विवाह में आ रही देरी समाप्त होगी।

रमा एकादशी 2023 शुभ समय (Rama ekadashi 2023shubh muhurat)

उदयातिथि के अनुसार रमा एकादशी का व्रत आज यानी 9 नवंबर को पड़ रहा है। एकादशी की तिथि…

नकदी प्राप्त करने की विधि

शासक कृष्ण के सामने बैठें. उन्हें गोपी चंदन अर्पित करें। इस सेरेनेड के बाद एक असाधारण मंत्र. मंत्र – “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी…”

धनतेरस कब है 2023 शुभ मुहूर्त | dhanteras 2023 in hindi

धनतेरस 2023: पारंपरिक रूप से कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस मनाने की परंपरा है। इस तिथि पर राजा धन्वंतरि एक तेजस्वी कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसके अलावा, आयुर्वेद की दिव्य शक्ति धन्वंतरि का जन्मोत्सव भी त्रयोदशी के दिन मनाया जाता है। इस साल धनतेरस दस नवंबर को है. धनतेरस पर नई चीजें खरीदने का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी धनतेरस पर खरीदारी करता है उसके घर में खुशियां और समृद्धि आती है। मान्यता है कि धनतेरस के दिन खरीदी गई चीजें कई वर्षों तक शुभ फल देती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस साल धनतेरस पर खरीदारी का शुभ समय, इसका महत्व और इस दिन क्या खरीदना चाहिए और क्या नहीं…

धनतेरस कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र में अमृत पाने के लिए दैवीय प्राणियों और बुरी आत्माओं ने हलचल मचाई, तो उसमें से अलग-अलग चौदह मोती निकले। समुद्र की मार के बाद सबसे बाद में अमृत की प्राप्ति हुई। ऐसा कहा जाता है कि भगवान धन्वंतरि हाथ में अमृत का कलश लेकर समुद्र से प्रकट हुए थे। जिस दिन भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे वह दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि थी, इसलिए धनतेरस या धनत्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करने की प्रथा है।

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