कुण्डलिनी योग के अनुसार, सात कुण्डलिनी चक्रों में से पहला चक्र, जो हमारी रीढ़ की हड्डी के सबसे निचले हिस्से या आधार में स्थित मूल चक्र गणेशजी का निवास स्थान है.
2. * गणेश भगवान के कानों में वैदिक ज्ञान, मस्तक में ब्रह्म लोक, आंखों में लक्ष्य, दाएं हाथ में वरदान, बाएं हाथ में अन्न, सूंड में धर्म, पेट में सुख-समृद्धि, नाभि में ब्रह्मांड और चरणों में सप्तलोक है.
*3. गणेश भगवान के कानों में वैदिक ज्ञान, मस्तक में ब्रह्म लोक, आंखों में लक्ष्य, दाएं हाथ में वरदान, बाएं हाथ में अन्न, सूंड में धर्म, पेट में सुख-समृद्धि, नाभि में ब्रह्मांड और चरणों में सप्तलोक है.
सिंदूरी रंग के गणेश भगवान की आराधना करने से घर के सभी कार्य निर्विघ्न रूप से होते हैं.
मुख्यद्वार पर गणेशजी की दो मूर्ति लगाएं, जिनकी पीठ आपस में मिली हो. इससे सभी तरह के वास्तु-दोष दूर हो जाते हैं
गणेशजी की मूर्ति की स्थापना करते समय उनकी सूंड बाएं हाथ की ओर घूमी हुई हो.
मुख्यद्वार पर गणेशजी की दो मूर्ति लगाएं, जिनकी पीठ आपस में मिली हो. इससे सभी तरह के वास्तु-दोष दूर हो जाते हैं
घर के सेंटर में पूर्व दिशा में गणपतिजी को रखना शुभ होता है.